मैं तो सदा
फूंक फूंक कदम रखता था
सौ सौ बार परखता था
जाँच-पड़ताल में माहिर
चेहरे पे दिल न होने दूं ज़ाहिर
हर शह को दी मात , चाहे हो रिश्तों की बिसात
यकायक ये क्या हो गया
तयशुदा रास्ता ही खो गया
गरूर अपनी उड़ानों का , देखो ज़मीं पे है पड़ा
वक़्त ही है बादशाह , वक़्त है सबसे बड़ा
फूंक फूंक कदम रखता था
सौ सौ बार परखता था
जाँच-पड़ताल में माहिर
चेहरे पे दिल न होने दूं ज़ाहिर
हर शह को दी मात , चाहे हो रिश्तों की बिसात
यकायक ये क्या हो गया
तयशुदा रास्ता ही खो गया
गरूर अपनी उड़ानों का , देखो ज़मीं पे है पड़ा
वक़्त ही है बादशाह , वक़्त है सबसे बड़ा
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