Monday 28 November 2011

बे-इन्तहा प्यार मेरा न सह सका ऐसा भोलापन......


 


बे-इन्तहा प्यार मेरा न सह सका ऐसा भोलापन

तेरी दुनिया में अब भी रंग हैं , तितलियाँ हैं सपने हैं 

अभी अभ्यस्त नहीं हुई अदाकारी की ये मुस्काने 

अभी भी तुझको लगता है , सब तेरे अपने हैं

काश जिंदा रहे जिंदादिली मासूमियत पाकीजगी 

मुझ में हिम्मत नहीं , रिवाएतें बताने की

मेरे जाने से कुछ देर और रहेगा ये यकीं 

मेरे जाने से हंसी तेरी ये बच पायेगी 

कुछ पल की मायूसी कुछ पल में संभल जाएगी 

इश्क ही होगा कुर्बां इस तरह से जानेमन 

मुझे यकीं है ये सच तू भी समझ जाएगी
 

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