Friday 11 November 2011

ये है हमारे दुख का असली कारण...



कई बार हम योजनाएं बनाते हैं लेकिन काम फिर भी बिगड़ ही जाता है। जिस तरह के परिणामों की अपेक्षा हम करते हैं उससे अलग ही या उल्टे ही परिणाम हमें मिलते हैं। कई लोग सोचते हैं कि हमने तो सारी योजनाएं ठीक बनाई थीं, उस पर काम भी किया था फिर परिणाम क्यों नहीं मिले। 

इसका जवाब है हमने योजनाएं तो बनाई लेकिन भविष्य में ऐसा ही होगा, जैसा हम सोच रहे हैं, यह मानना गलत है। भविष्य की गर्त में क्या छिपा है कोई नहीं जानता, हम सिर्फ कर्म करें, अगर हम अपने हर कर्म से ज्यादा फायदे की अपेक्षा करेंगे तो यह बात हमें सिर्फ पीड़ा ही देगी। हम कर्म करें, लेकिन उससे अपेक्षा को निकाल दें। 

एक नगर सेठ था। उसने एक आलीशान महल बनवाया। बड़ी धनराशि खर्च करके तैयार किए गए महल के रंगरोगन का काम चल रहा था। सेठ महल के बाहर खड़ा-खड़ा कारीगरों को निर्देश दे रहा था। सेठ ने मुख्य कारीगर से कहा कि इस महल पर ऐसे रंगों से बेल-बूटे बनाओ कि मेरी सात पुश्तों तक इसके रंग फीका ना पड़े। कारीगर भी उसके बताएं अनुसार काम कर रहे थे। तभी वहां से एक संत गुजरे। 

उन्होंने सेठ की बातें सुनीं, सेठ को देखकर मुस्कुराए और चले गए। सेठ को यह बात अजीब लगी। उसी दिन दोपहर को सेठ अपने घर में भोजन कर रहा था, उसके चार साल के बच्चे ने उसकी थाली को ठोकर मार दी। सेठ की पत्नी ने उसे डांटा तो सेठ ने कहा कि इसे मत डांट, यह तो कुल का चिराग है। हमारी पीढिय़ां इसी से चलेंगी। तभी वहां वही संत भिक्षा मांगने पहुंचे। उन्होंने सेठ की बात सुनी और मुस्कुराकर चल दिए। सेठ को फिर अजीब लगा। सेठ से रहा नहीं गया। वह संत के पीछे चल दिया। 

एक जगह एकांत में जाकर उसने संत से पूछा आपने दो बार मेरी बात सुनी और दोनों बार मुस्कुराकर चल दिए। ेऐसा क्यों? संत ने कहा तुम्हें भविष्य का कुछ पता नहीं और तुम जानें क्या-क्या योजना बना रहे हो। तुम जिस महल पर सात पुश्तों तक दिखने वाली बेल-बूटे बनवा रहे हो, वह तुम सात दिन भी नहीं देख पाओगे, क्योंकि आज से सातवें दिन तुम्हारी मौत हो जाएगी। 

यही सोचकर मैं मुस्कुरा दिया। सेठ का दिल बैठ गया, आंखों में आंसू आ गए। उसने पूछा फिर आप दूसरी बार क्यों मुस्कुराए मेरे घर आकर। संत ने कहा जिस बेटे ने तुम्हारी थाली को ठोकर मारी और तुमने उसका ठुकराया हुआ खाना भी बड़े प्रेम से खाया, वो तुम्हारे कुल का नाश कर देगा। वो पिछले जन्म की तुम्हारी पत्नी का प्रेमी है, जो इस जन्म में तुम्हारा बेटा बना है। 

उसे ही तुम इतने प्यार से रख रहे हो, वो तुम्हारी सारी कमाई बुरे कामों में उड़ा देगा। सेठ जोरों से रोने लगा, संत ने उसे समझाया कि तुमने अपने लिए योजनाएं तो बहुत अच्छी बनाई लेकिन उन योजनाओं से तुम परिणाम भी अपने अनुकूल चाहते हो, जो कि गलत है। परिणाम तो नियति के हाथों में है। हमारे हाथों में नहीं।

किस्मत में जो लिखा है, उसे पाना हमारे हाथ में है





उज्जैन. किस्मत एक ऐसी चीज है जिस पर कुछ लोग बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं और कुछ बिल्कुल भी नहीं। कई लोग हर चीज को किस्मत के भरोसे ही छोड़ देते हैं। किस्मत को मानना अलग विषय है और उसी पर टिक जाना एकदम अलग बात। 

जो लोग सिर्फ किस्मत को ही सबकुछ मानकर बैठ जाते हैं वे अक्सर असफल हो जाते हैं। तकदीर में जो लिखा है वो तो होना ही है लेकिन जो होगा, वो हमें किस हद तक प्रभावित करेगा यह बात हमारे कर्म तय करते हैं। 

एक राजा के दो बेटे थे। दोनों ही होनहार थे, राजा को दोनों ही बेटे समान लगते थे। उसके आगे समस्या यह थी कि वो अपना उत्तराधिकारी किसे घोषित करे, क्योंकि दोनों में ही उसे कोई कमी नजर नहीं आती थी। राजा परेशान रहने लगा। एक मंत्री ने राजा की मनोदशा का ताड़ लिया। उसने जोर देकर पूछा तो राजा ने अपनी चिंता का कारण बता दिया। मंत्री ने राजा को एक युक्ति सुझाई। 

उसने राजा से कहा कि दोनों राजकुमारों को राजज्योतिषी के पास भेजना चाहिए, वे ही इस बात का निर्णय कर देंगे कि कौन सा राजकुमार भविष्य में राजा बनने के लायक है। राजा ने ऐसा ही किया। दोनों राजकुमारों को ज्योतिषी के पास भेजा। ज्योतिषी ने दोनों की कुंडली देखी, हाथ की रेखाएं देखीं और घोषणा की कि दोनों ही राजा बनने योग्य हैं। दोनों की कुंडली में राजसी सुख लिखा है। दोनों की रेखाएं भी राजसी जीवन की ओर संकेत कर रही हैं।

दोनों ही खुश हो गए लेकिन राजा की दुविधा जस की तस थी। दोनों की कुंडली में अगर राजयोग है, तो फिर राजा किसे बनाया जाए। ज्योतिषी ने जवाब दिया, आप थोड़े दिन, इंतजार करें, राज पद का दावेदार राजकुमार आप खुद ही चुन लेंगे। राज योग की बात सुन दोनों राजकुमारों पर अलग-अलग असर हुआ। 

बड़े राजकुमार ने सोचा कि राजा बनना ही है तो राजसी जीवन की आदत डाल ली जाए, क्योंकि जीवनभर फिर राजा बनकर रहना है। वो पूरी तरह विलासिता में डूब गया। वहीं छोटे ने सोचा कि जब राज योग लिखा ही है तो क्यों ना राजा के कर्तव्य देख लिए जाएं। उसने प्रजा के बीच जाकर रहना शुरू कर दिया, उनकी समस्याओं का निपटारा किया, उनकी रक्षा की व्यवस्था की। 

राजकीय काम देखने लगा। राजा तक यह सूचना पहुंची कि जनता छोटे राजकुमार को राजा के रूप में देखना चाहती है। राजा ने उसे अपना युवराज घोषित कर दिया। इस बात से तिलमिलाया बड़ा राजकुमार राज ज्योतिषी के पास पहुंचकर शिकायत करने लगा। ज्योतिषी ने उसे समझाया कि राज सुख तुम दोनों की कुंडली में है लेकिन तुमने ये जानकर भी अपने कर्तव्य और कर्म का मार्ग नहीं पकड़ा। 

तुमने यह मान लिया कि तुम ही राजा बनोगे और विलासिता में डूब गए। जबकि छोटे राजकुमार ने भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए उसके अनुसार कर्म किया तो वो राजा चुन लिया गया। तुम भी राज सुख भोग रहे हो, जीवन भर भोगोगे भी लेकिन राजा बनने की तैयारी तुमने नहीं की, वो तैयारी तुम्हारे छोटे भाई ने की इसलिए राजा ने उसे युवराज बनाया।

तो फिर सफलता ज्यादा आसानी से मिल सकती है...



सफलता का एक सिद्धांत यह है कि या तो आप हालात को अपने अनुकूल बना लें या परिस्थितियों के अनुकूल बन जाएं। दोनों ही स्थितियों में संघर्ष भले ही हो, लेकिन सफलता सरलता से मिल जाती है। श्रीहनुमानचालीसा की बत्तीसवीं चौपाई है - 

राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।

इसकी दूसरी पंक्ति में एक शब्द आया है- सदा। आइए इन शब्दों को जीवन से जोड़कर देखें। हनुमानचालीसा में जिस रसायन की चर्चा हुई है और जो हनुमानजी के पास है, इसका अर्थ है सभी परिस्थितियों के अनुकूल रहना। 

इस रसायन का आध्यात्मिक संदेश यह है कि हमारा रहना इस प्रकार हो कि हम संसार में रहें, संसार हममें न रहे। सदा रहो रघुपति के दासा इसमें सदा शब्द महत्वपूर्ण है। श्रीराम ने हनुमानजी को उनकी उपयोगिता, उनके समर्पण और भक्ति के कारण सदा अपने पास रहने का गौरव दिया है।

श्रीराम का मानना है कि जाने कब, कौन-सी समस्या आ जाए। इसलिए समाधान हेतु श्री आंजनेय का साथ रहना ठीक है। प्रबंधन का सूत्र है कि यदि आप समाधान का हिस्सा नहीं हैं तो फिर आप स्वयं एक समस्या हैं।

हनुमानजी का यह समाधानकारी चरित्र हमें जीवन तत्वों का सही उपयोग करते हुए व्यक्तित्व विकास की प्रेरणा देता है। परमात्मा की निकटता बड़ी उपलब्धि है। यह सदा रहनी चाहिए। ऐसा न हो कि आज सफल हुए, लापरवाही के कारण कल वह सफलता जीवन से फिसल जाए।

अगर जिंदगी में कभी निराशा आए तो सबसे पहले यह करें...



अनेक तरह से बलशाली लोग भी मानसिक दुर्बलता के शिकार पाए जाते हैं। हमारे संत-महात्माओं ने तो मानसिक बल पर खूब जोर दिया है और काम भी किया है। जब भी जीवन में निराशा आए, अपने पुराने सड़े-गले विचारों को त्यागें।


विचार भी लगातार बने रहने से बासी हो जाते हैं, इन्हें भी मांजना पड़ता है, इनकी भी साफ-सफाई करनी पड़ती है। कुछ समय स्वयं को विचारशून्य रखना भी विचारों की साफ-सफाई है। यह शून्यता गलत विचारों को गलाती है।


इसके बाद आने वाले विचार दिव्य और स्पष्ट होंगे। विचारशून्य होने की स्थिति का नाम ध्यान है। कुछ समय अपने ऊपर, अपने ही द्वारा, अपने विचारों के आक्रमण को रोकिए। कुछ लोग काफी समय ध्यान की विधि ढूंढ़ने में लगा देते हैं।


कौन-सी विधि से ध्यान करें, इसमें ही उनके जीवन का बड़ा हिस्सा खर्च हो जाता है। थोड़ा समझें कि ध्यान की कोई विधि नहीं होती। ध्यान में जो बाधाएं आती हैं, उन बाधाओं को हटाने-मिटाने की विधियां जरूर होती हैं।


ध्यान एक ऐसा होश है, जो अपनी शून्यता से विचारों को धो देता है। ताजे और प्रगतिशील विचार रोम-रोम में समाते हैं और उनके नियमित उपयोग की कला भी आ जाती है। हर विधि एक रास्ता है, पर बाधा को हटाने के लिए उसे ही ध्यान मान लेना गलत होगा।


मानसिक दुर्बलता से मुक्ति पाने के लिए कोई न कोई ऐसा मार्ग पकड़ लें, जो आपको ठीक लगे। ध्यान का स्वाद स्वयं आ जाएगा।

अगर आप समझना चाहते हैं प्रेम की परिभाषा...



हम भारतीयों ने कुछ ऐसे शब्द खो दिए हैं कि जिनकी हानि में अब हम परेशान हो रहे हैं। एक शब्द है प्रेम। आजकल किसी से जब प्रेम की बात करो तो सारा वार्तालाप वासना के आसपास घूमने लगता है। प्रेम का अर्थ लेन-देन, अपेक्षा मान लिया गया है। 



जिन्हें प्रेम समझना हो, वे अपने जीवन में भक्ति उतारने की तैयारी करें। प्रेम और भक्ति मिला-जुला मामला है। प्रेम दो बातों से जीवन में सरलता से उतरता है नाम और समर्पण। परमात्मा का नाम मन ही मन लेते रहें और उसके प्रति समर्पण का भाव रखें। इसके लिए सत्संग करते रहें। सत्संग यानी प्रेम की चर्चा।


मीरा ने कहा था - असाधुओं की संगति में नाम होने से तो साधु संगति में बदनाम हो जाना अच्छा। एक संत हमारी तरफ आंख उठाकर देख ले तो काफी है, बजाय सारा समाज हमारी प्रशंसा करे। प्रेम प्रार्थना का प्रथम रूप है। भक्ति की शुरुआत है। प्रेम पाठशाला है परमात्मा की। इसी से सीखी जाती है प्रार्थना। पति-पत्नी बच्चों के साथ बैठकर प्रेम से ध्यान में उतरें।



प्रेम में मिल्कियत नहीं होती। अभी सब गड़बड़ है। पति-पत्नी के बीच एक-दूसरे पर कब्जा है। मुझे उससे यह मिले, ऐसी अपेक्षा है। प्रेम में कब्जा कैसा? प्रेम तो दान है। जहां संसार के प्रति प्रेम असफल होता है, वहां परमात्मा के प्रति प्रेम जागता है। बच्चे को प्रेम के प्रति अभी से शिक्षा दी जानी चाहिए, क्योंकि आने वाले वक्त में उनके लिए यह बड़ा सहारा होगा।

ये दो चीजें जीवन में आती हैं तो आदमी भटक जाता है....



बचपन से हमें सिखाया जाता है कि सावधान रहना, जिंदगी की राहों में भटक मत जाना। साधारणतया भटकने का अर्थ है कि हम चरित्रहीन न हो जाएं। हमारी जीवन यात्रा में दो चीजें होती हैं, तब हम भटकते हैं। पहला, यदि कोई धक्का लगे तो चाल लड़खड़ाएगी और दूसरा, यदि कोई घसीट ले तो मार्ग से इधर-उधर हो जाएंगे।


लोभ, मोह, काम, क्रोध, मान, पद, प्रतिष्ठा इन सबके धक्के हमें गिरा देते हैं। घसीटने के मामले में इंद्रियां बहुत ताकतवर होती हैं। खींच-खींचकर विषयों की ओर ले जाकर पटक देती हैं। इनसे बचने के लिए अपने भीतर या तो अति आत्मविश्वास जगा लें या श्रद्धा का अंकुर पैदा कर लें।


श्रद्धावान व्यक्ति नसीहतों के प्रति गंभीर होता है। उसके लिए सीख आचरण से अधिक भरोसे का विषय होती है। माता-पिता और गुरुजन की सीख वह अनुशासन के रूप में नहीं, श्रद्धा के रूप में लेता है। झोंकों से गिरने वाले और इंद्रियों से घसीटे गए लोग भविष्य के अज्ञात भय से भी डरने लगते हैं कि अब क्या होगा?


यदि श्रद्धा जीवन में है तो भय को जाना ही पड़ेगा। एक बात और कि जीवन में जब भी भय आएगा, उसके मूल में अहंकार जरूर होगा। अहंकारी व्यक्ति का जीवन दूसरों द्वारा की गई प्रशंसा और आलोचना पर निर्भर होता है।


उसे सदैव भय बना रहता है कि दूसरे उसके बारे में क्या कहेंगे और इसीलिए वह धक्के भी खाता है, लेकिन श्रद्धा आपको स्वयं पर टिकाएगी, निर्भय बनाएगी।

किसका सहारा लें अगर जीवन में कभी जरूरत पड़े?



अपनी जीवन यात्रा अपने ही भरोसे पूरी की जाए। यदि सहारे की आवश्यकता पड़े तो परमात्मा का लिया जाए। संसार के सहयोग के भरोसे न रहें। संसार के भरोसे ही अपना काम चला लेंगे, यह सोचना नासमझी है, लेकिन अपने ही दम पर सारे काम निकाल लेंगे, यह सोच भी मूर्खता है।


इसलिए सहयोग सबका लेना है, लेकिन अपनी मौलिकता को समाप्त नहीं करना है। इसके लिए अपने भीतर के साहस को लगातार बढ़ाते रहें। अपने जीवन का संचालन दूसरों के हाथ न सौंपें। हमारे ऋषि-मुनियों ने एक बहुत अच्छी परंपरा सौंपी है और वह है ईश्वर का साकार रूप तथा निराकार स्वरूप।


कुछ लोग साकार को मानते हैं। उनके लिए मूर्ति जीवंत है और कुछ निराकार पर टिके हुए हैं। पर कुल मिलाकर दोनों ही अपने से अलग तथा ऊपर किसी और को महत्वपूर्ण मानकर स्वीकार जरूर कर रहे हैं।


जो लोग परमात्मा को साकार मानते हैं, मूर्ति में सबकुछ देखते हैं, वह भी धीरे-धीरे मूर्ति के भीतर उतरकर उसी निराकार को पकड़ लेते हैं, जिसे कुछ लोग मूर्ति के बाहर ढूंढ़ रहे होते हैं। भगवान के ये दोनों स्वरूप हमारे लिए एक भरोसा बन जाते हैं। व्यर्थ के सपने बुनकर जो अनर्थ हम जीवन में कर लेते हैं, परमात्मा के ये रूप हमें इससे मुक्त कराते हैं, क्योंकि हर रूप के पीछे एक अवतार कथा है।


अवतार का जीवन हमारे लिए दर्पण बन जाता है। आईने में देखो, उस परमशक्ति पर भरोसा करो और यहीं से खुद का भरोसा मजबूत करो।

खर्च करें दस मिनट और पाएं गजब की वर्किंग पॉवर

 


अनुशासन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। हर व्यक्ति अपने विवेक से अनुशासित रहता है। जब तक विवेक प्रबुद्ध और जागरूक नहीं हो जाता है। ऐसे में सफल होने के लिए विवेक का जागृत होना जरूरी है। इसके लिए नीचे लिखी योगमुद्रा सबसे अच्छा उपाय है।



विधि- अनुशासन मुद्रा के लिए तर्जनी यानी इंडैक्स फिंगर अंगुली को सीधा रखें। शेष तीन अंगुलियों-कनिष्ठा छोटी अंगुली अनामिका   (रिंग फिंगर) और मध्यमा (मिडिल फिंगर) को अंगुठे के साथ मिलाएं। इस तरह बनने वाली मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहा गया है।

 आसन- पद्मासन व सुखासन में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा सकता है। 

 समय- रोज आठ मिनट से प्रारंभ करें। एक महिने तक रोज एक-एक मिनट बढ़ाएं। 

 लाभ- इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासित होने लगता है। नेतृत्व क्षमताऔर कार्य क्षमता बढ़ती है। अपने आप में पौरुष का अनुभव होता है। 

 सावधानी- एक साथ लंबे समय तक न करें।

उ हू...उहू से तंग आ गए है तो आजमाएं दादी के फंडे



खांसी कोई रोग नहीं है। यह अन्य रोगों का लक्षण मात्र है। खांसी अगर बनी रहे तो यह अन्य बीमारियों को जन्म दे सकती है। खांसी के कारण कमजोरी के अलावा गले, सांस के नलियों, फेफड़ें व दिल की बीमारियां होती है। टी.बी. दमा में भी खांसी के प्रमुख लक्षण है। जब तक खांसी के मूल कारण वाली बीमारी का पूरा इलाज न किया जाए। तब तक केवल खांसी की दवा पीने से भी कुछ ही देर का लाभ होता है।जुकाम खांसी होने का सबसे मुख्य कारण है। घरेलु उपचार से खांसी ठीक की जा सकती है। 

 खांसी में गर्मी के ठंडे पानी के साथ और सर्दी में गरम पानी से नारंगी का रस  लाभ होता है।

पिसे हुआ अंावला एक चम्मच शहद में मिलाकर रोज दो बार चांटे। 

 - पालक के रस को हल्का सा गर्म करके कुल्ला करें। 

 - चाय चम्मच मेथीदाना एक गिलास पानी में उबालें। आधा पानी रहने पर गर्म-गर्म पिलाएं। 

 - अंजीर का दूध पीएं।

 - चार चम्मच तिल और उसमें इतनी ही मिश्री मिलाकर एक गिलास पानी में उबालें, जब आध पानी रह जाए तो पी जाएं। 

 - दालचीनी चुसते रहने पर खांसी नहीं चलती।  

- दस काली मिर्च पानी में उबाल कर पिएं। 

- काली मिर्च पीसकर उसमें शहद मिलाकर सेवन करें। 

- खांसी बार-बार चलती है तो मिश्री का एक टुकड़ा मुंह में रखें। 

 - ब्लैक कॉफी पीने से भी खांसी में राहत मिलती है।  

 - खांसी में छोटी इलायची खाने से भी लाभ होता है।

देसी फंडा: रखिए अपनी स्कीन को बुढ़ापे से कौसो दूर हमेशा



क्या आपकी स्कीन समय से पहले बुढ़ों की तरह दिखने लगी है?क्या तरह-तरह के कास्मेटिक्स का उपयोग करके परेशान हो चूके हैं?क्या फिर भी स्कीन प्राब्लम्स हैं कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही हैं तो आप की त्वचा को कास्मेटिक्स की नहीं बल्कि अच्छे खान-पान और योग की जरूरत है। कुछ हस्त योग मुद्राए हैं जिन्हें आप रोज सिर्फ 15 मिनट देकर अपनी कई समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं। ऐसी ही एक मुद्रा वरूण मुद्रा जिसे करके आप स्कीन प्रॉब्लम्स से आप छुटकारा पा सकते हैं।

 वरूण का अर्थ है जल। जल ही जीवन है। हवा की तरह पानी भी जीवन के लिए उपयोगी है। भोजन के बिना कुछ महीने जीवित रहा जा सकता है। पानी  के बिना कुछ दिन जीवित रहना कठिन हो जाता है। पानी भोजन को तरल बनाने में सहयोगी नहीं बनता, उससे विविध तत्वों का निर्माण भी होता है। पानी के अभाव से शरीर रूखा और निष्क्रिय हो जाता है। कनिष्ठा हाथ की सबस छोटी अंगुली को कहा जाता है। कनिष्ठा या लिटिल फिंगर जल का प्रतीक है। कनिष्ठा अंगुली का आगे का भाग और अंगूठे के अग्रभाग को मिलाने से वरूण मुद्रा बनती है।

आसन- सर्दी के समय इसका सीमित प्रयोग करें। दूसरे मौसम में कम से कम चौबीस मिनट करें। पूरा समय अड़तालिस मिनट है। 

परिणाम -शरीर का रूखापन दूर होता है।त्वचा चमकीली और मुलायम बनती है। चर्म रोग दूर होते हैं। रक्त विकार दूर होते हैं। यौवन लंबे समय तक बना रहता है। बुढ़ापा जल्दी नहीं आता है।

उड़ रहें हैं बाल... 25 की उम्र में दिखने लगे 50 के तो ये करें


कई लोगों के बाल बहुत तेजी से झडऩे लगते हैं। झड़े हुए बालों की जगह नए बाल नहीं आते हैं। इसका मुख्यकारण रोमकुप का बंद होकर सिर की त्वचा सपाट हो जाना है।  इस बीमारी का कोई विशेष कारण नहीं होते हैं। इस रोग होने के कोई विशेष कारण नहीं होते हैं। फि र भी रक्त विकार, किसी विष का सेवन कर लेने, उपदंश, दाद, एक्जिमा आदि  के हो जाने के कारण ऐसा होना संभव हो जाता है। 

 - नमक का अधिक सेवन करने से गंजापन आ जाता है। पिसा हुआ नमक, काली मिर्च एक-एक चम्मच नारियल का तेल पांच चम्मच मिलाकर बाल उड़ें, गिरे स्थान पर लगाने से बाल आ जाते हैं।

 

 -अगर बालों का गुच्छा किसी स्थान से उड़ जाए तो  गंजे के स्थान पर नींबु रगड़ते रहने से बाल दुबारा आने लगती है। 

 - जहां से बाल उड़ जाएं तो प्याज का रस रगड़ते रहने से बाल आने लगते हैं। 

- बालों में नीम का तेल लगाने से भी राहत मिलती है। 

- लहसुन का खाने में अधिक प्रयोग करें। 

- उड़द की दाल उबाल कर पीस लें। इसका सोते समय सिर पर गंजेपन की जगह लेप करें।

- हरे धनिए का लेप करने से भी बाल आने लगते हैं।

- केले के गूदे को नींबू के रस में पीस लें और लगाएं, इससे लाभ होता है। 

- अनार के पत्ते पानी में पीसकर सिर पर लेप करने से गंजापन दूर होता है।

दाद- खाज हो जाएगा जड़ से साफ आजमाएं ये घरेलु उपाय



स्कीन से जुड़ी बीमारियां भी कई बार गंभीर समस्या बन जाती है। ऐसी ही एक समस्या है एक्जीमा या दाद  पर होने वाली खुजली और जलन दाद से पीडि़त व्यक्ति का जीना मुश्किल कर देती है। अगर आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है तो अपनाएं ये आयुर्वेदिक टिप्स

- दाद पर अनार के पत्तों को पीसकर लगाने से लाभ होता है।

- दाद को खुजला कर दिन में चार बार नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाते हैं।

- केले के गुदे में नींबू का रस लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- चर्म रोग में रोज बथुआ उबालकर निचोड़कर इसका रस पीएं और सब्जी खाएं। 

- गाजर का बुरादा बारीक टुकड़े कर लें। इसमें सेंधा नमक डालकर सेंके और फिर गर्म-गर्म दाद पर डाल दें। 

 - कच्चे आलू का रस पीएं इससे दाद ठीक हो जाते हैं।

- नींबू के रस में सूखे सिंघाड़े को घिस कर लगाएं। पहले तो कुछ जलन होगी फिर ठंडक मिल जाएगी, कुछ दिन बाद इसे लगाने से दाद ठीक हो जाता है।

- हल्दी तीन बार दिन में एक बार रात को सोते समय हल्दी का लेप करते रहने से दाद ठीक हो जाता है।

- दाद होने पर गर्म पानी में अजवाइन पीसकर लेप करें। एक सप्ताह में ठीक हो जाएगा। 

- अजवाइन को पानी में मिलाकर दाद धोएं।

 - दाद में नीम के पत्तों का १२ ग्राम रोज पीना चाहिए। 

- दाद होने पर गुलकंद और दूध पीने से फायदा होगा।

- नीम के पत्ती को दही के साथ पीसकर लगाने से दाद जड़ से साफ हो जाते है।

ये हैं सिगरेट छुड़वाने के देसी उपाय



धुम्रपान हर तरह से स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाता है। सिगरेट-बीड़ी का हर कश इंसान को मौत के करीब ले जाता है। एक अध्ययन में पता चला है कि उच्चरक्तचाप से पीडि़त व्यक्ति के धुम्रपान करने पर नपुंसक होने का खतरा 27 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यहां तक कि धुम्रपान छोड़ चुके ऐसे पुरुषों के धुम्रपान नहीं करने वालों की तुलना में नपुसंक होने की संभावना 11 प्रतिशत अधिक होती है। अगर आप भी स्मोकिंग की आदत से परेशान हैं तो अपनाएं ये आसान उपाय....


 

नींबु- बीड़, सिगरेट, जर्दे का सेवन की आदत हो तो इनका सेवन करना बंद कर दें और जब इनके सेवन की इच्छा हो तो नींबू चुसें। कुछ बूंदे नींबु के रस की जीभ पर डालकरी स्वाद खट्टा कर लें। इससे उसके सेवन की इच्छा तुरंत समाप्त हो जाएगी। इस तरह जब-जब भी सेवन करने की इच्छा हो तो नींबू का सेवन करें।

 सौंफ- सौंफ को घी में सुखाकर तवे पर सुखा लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो आधा-आधा चम्मच चबाते रहें।  इससे सिगरेट पीने की इच्छा समाप्त हो जाएगी।

अजवाइन- 50 ग्राम अजवाइन और 50 ग्राम मोटी सौंफ को घी में सेंककर डिब्बी में भरकर रख लें। जब भी सिगरेट पीने की इच्छा हो, इस मिश्रण को आधा चम्मच लेकर चबाएं।

मोटापा घटाएं और बुखार भगाएं बस थोड़ा सा नींबू खाएं



आम तौर पर नीबू को गर्मी का राम-बाण कहा जाता है, लेकिन हर मौसम में नीबू के रस में बहुत शक्ति होती है। आपको ये बात हैरान करने वाली लगेगी कि नीबू के जूस में शक्ति आती है लेकिन ये मोटापा नहीं बढ़ाता है बल्कि इसका सही तरीके सेवन मोटापे को कम जरूर कर सकता है। साथ ही इसके सेवन से अन्य कई रोग भी दूर हो सकते हैं। 

 - नीबू के छिलकों को कोहनियों, घुटनों और नाखूनों पर रगड़ें। त्वचा का कालापन दूर होता है।

- जोड़ों के दर्द के रोगियों को जिस स्थान पर दर्द होता है, वहां पर नीबू के रस की मालिश करें। इससे दर्द ठीक हो जाएगा। 

-चर्म रोगों में नीबू अत्यंत लाभकारी है। नीबू का रस, पानी में डालकर स्नान करने से खाज-खुजली, दाद आदि रोग नहीं होते हैं।

-एक चम्मच मलाई में नीबू निचोड़कर चेहरे पर लगाने से कील-मुंहासे साफ  होते हैं।

- रोज रात में सोने से पहले आंखों में एक-एक बूँद गुलाबजल डालने से आंखें स्वस्थ और सुंदर बनी रहती हैं। 

-एक गिलास पानी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर प्रतिदिन बिना मुंह धोए पीने से पेट साफ  होता है और चेहरे पर निखार आता है।

- तैलीय त्वचा से मुक्ति के लिए एक बड़ा चम्मच बेसन, एक छोटा चम्मच गुलाबजल, और चुटकी भर हल्दी में आधा नीबू मिलाकर बनाए गए लेप को चेहरे पर बीस मिनट तक लगाएँ और सादे पानी से धो दें। 

- नीबू के रस में पिसा हुआ आंवला मिलाकर नहाने से पूर्व बालों में खूब मल लिया करें तो बाल सफेद होने से रुक जाएंगे व झडऩा भी बंद हो जाएंगे।

- मलेरिया के रोगी को काला नमक व काली मिर्च बारीक पीसकर नीबू में भरकर गर्म कर चूसने को दें। थोड़ी देर में बुखार कम होने लगेगा।

- एक नीबू, थोड़ा नमक व 250 ग्राम हल्का गर्म पानी मिलाकर सुबह उठकर पीने से मोटापा कम होता है।

-ब्लड प्रेशर के रोगियों को दिन में 2-3 बार नीबू का रस पानी में घोलकर पीना चाहिए। इससे उच्च रक्तचाप में राहत मिलती है।

- बालों से रूसी दूर करने और उन्हें चमकदार बनाने के लिए 1 एक नीबू का रस बालों में लगाए और दस मिनट बाद धो दें।

खाएं ऑफिस में ये पॉवर फूड बचे मोटापे से, बनाएं सेहत



ऑफिस के आठ घंटों  में अधिकतर लोगों के साथ बेवजह भुख की समस्या होती है। ऐसे में अधिकतर लोग बाहर के चटर-पटर खाने और लंबी सिटिंग के चलते ओवरवेट हो जाते हैं। अगर आपके साथ भी ऐसी ही प्राब्लम है तो आप को भी तली हुई चीजों के बजाए। पॉवर फूड लेना चाहिए। पॉवर फूड में वे चीजें आती हैं जिनमें अधिक फेट ना हो और भरपूर एनर्जी भी मिले। फ्रुटस, पापकार्न, और  अखरोट ऐसी ही कुछ चीजे हैं। लेकिन ऑफिस में अगर आप अखरोट खाएंगे तो न सिर्फ आपकी भूख कम होगी बल्कि तनाव भी कम होगा। अखरोट में आयरन, कापर, कोबाल्ट, पोटेशियम, सोडियम, फोसफोरस, मैग्निशियम, कैल्शियम और आयोडीन जैसे खनिज तत्व प्रचुर मात्रा में होते हैं।

इसमें  बहुत से एंटी आक्सीडेंट होते हैं और इसके अतिरिक्त अखरोट में गैर सेचुरेटिड फैटी एसिड, 20 से अधिक अमीनो एसिड तथा विटामिन ए, ई , बी , पी और सी भी पाया जाता है।अखरोट से न केवल तनाव दूर होता है, बल्कि यह कोलेस्ट्राल को कम कर रक्तचाप को भी नियंत्रित करता है। जिन लोगों में खराब प्रकार का कोलेस्ट्रॉल होता है उनका रक्तचाप अधिक होता है और उन्हें तनाव की भी शिकायत रहती है। ऐसे लोग यदि तीन सप्ताह तक खूब अखरोट खाएं तो अखरोट प्रोटीन के अच्छे स्रोत हैं।

बहुत से शोधों से ऐसा पता चला है कि अखरोट से एल्जाइमर बीमारी का खतरा कम होता है। अखरोट को दिमाग के लिए बहुत ही लाभकारी माना जाता है क्योंकि इसमें विटामिन ई अधिक मात्रा में होती है।अखरोट में फाइबर, विटामिन बी, मैल्नीमशियम और एण्टी् आक्सिडेंट्स अधिक मात्रा में होते हैं और यह बालों और त्वचा को स्वस्थ रखता है।
 

हिच्च हिच्च....हिचकी न रूके तो....




कुछ लोगों के स्नायुओं में उत्तेजना से तो कुछ को अपच के कारण हिचकी चलती है। हिचकी चलने के या बंद न होने के कई कारण हो सकते हैं। कई बार हिचकी चलने के कारण सांस लेने में भी दिक्कत होती है।  कहते हैं हिचकी रोगी का ध्यान केंद्रित करने पर या पानी पीने पर बंद हो जाती है। लेकिन कई बार यह समस्या बहुत गंभीर रूप भी धारण कर लेती है ऐसे में ये घरेलु उपाय जरूर आजमाकर देखें.....

-हिचकी अगर अपच से हो तो पानी में खाने का सोडा डालकर एक गिलास पीने से ठीक हो जाती है। 

- नीबू का रस शहद ये दोनों एक-एक चम्मच काला नमक मिलाकर खाने से हिचकी बंद हो जाती है। 

- प्याज काट कर नमक डालकर हर घंटे खाने से खांसी नहीं होती है।

- साबुत उड़द जलते हुए कोयले पर, आग पर डाले और धुएं को सूंघे।

- सेंधा नमक पानी में घोलकर नाक में टपकाने से हिचकी बंद हो जाती है।

- मूली के चार पत्ते खाने से हिचकी बंद हो जाती है। 

- हिचकी बंद नहीं हो तो पौदीने के पत्ते या नीबू चुसे। 

- थोड़ा सा गरम-गरम घी पी लेने से हिचकी बंद होती है। 

- सेंधा नमक पीसकर मिलाकर सूंघने से हिचकी नहीं चलती है। 

- प्याज के रस में शहद से हिचकी बन्द हो जाती है। 

- हींग हिचकी अधिक आती हो तो बाजरे के बराबर हींग को गुड़ में मिलाकर केले के साथ खाए।

- गन्ने का रस पीने से हिचकी बंद हो जाती है।

खाना ही डिसाइड करता है आपकी सक्सेस, जानिए कैसे



आजकल की भागदौड़ से भरी जिंदगी में किसी को धन की कमी खलती है, तो कोई मानसिक शांति के लिये तरसता रहता है। संयोग से अगर किसी के पास पर्याप्त धन-सम्पत्ति और सुख-सुविधाएं मौजद हों तो दुर्भाग्य से उसका स्वास्थ्य इस लायक नहीं होता कि वह जिंदगी में चैन की बंसी बजा सके। तो ऐसे में आखिर क्या किया जाए कि व्यक्ति सुखी और स्वस्थ तो हो ही पर साथ ही समझदार भी कहलाए इसके लिए मनुष्य का अपने आहार की तरफ ध्यान देना जरूरी है।

कहते हैं सम्राट की तरह नाश्ता करो, राजकुमार की तरह दोपहर का भोजन करो एवं भिखारी की तरह शाम का भोजन करो। प्राचीन धर्म शास्त्रों में दी हुई अमूल्य आध्यात्मिक शिक्षाओं में इस विषय में बड़ी ही बातें कही गई है। इनमें कहा गया है कि इन तीन गुणों को अपनाकर कोई भी इंसान सुखी और स्वस्थ होने के साथ ही समझदार भी बन सकता है।

ये तीन गुण हम से और हमारी भोजन प्रणाली से जुड़े हैं। भोजन प्राणऊर्जा प्राप्त करने का स्रोत है भोजन। जब हम बहुत ज्यादा खा लेते हैं या बहुत गरिष्ठ भोजन कर लेते हैं तो थक जाते है। और जिस दिन बहुत हल्का फुल्का खाना खाते हैं जैसे फल-सलाद वगैरह, उस दिन हल्का लगता है? पहली स्थिति में भारीपन और आलस्य महसूस होता है और दूसरी अवस्था में शरीर हल्का व ऊर्जायुक्त रहता है।

तभी तो कहां जाता है कि जैसा खावे अन्न वैसा होवे मन। सात्विक आहार हमारी क्रियाशीलता को बढ़ाते है। मांसाहारी खाने की तुलना में शाकाहारी भोजन हमारे शरीर के लिए ज्यादा उपयुक्त है, और जल्दी पच भी जाता है। मनुष्य की पाचन प्रणाली शाकाहारी भोजन पचाने में अधिक उपयुक्त है। उदाहरण के लिए हमारे दाँत और हमारी लंबी अंतडिय़ां शाकाहारी भोजन खाने और पचाने के लिए बनाई गयी हैं। बहुत ज्यादा पका हुआ या बासी खाने की तुलना में ताजा कच्चा भोजन ज्यादा प्राणयुक्त है।

हमारे धर्मशास्त्रों में कहा गया है कि अगर सफलता पाना है तो सबसे पहले व्यक्ति को अपने आहार पर ध्यान देना चाहिए।

कैसा हो आहार

1. कम खाना- यानी हमेशा भूख से थाड़ा कम भोजन करने वाला व्यक्ति सदा स्वस्थ रहता है।





2. गम खाना- यानी धैर्य रखना और अनिवार्य न होने तक गुस्से या किसी दूसरे आवेश को नियंत्रित रखना।



3. नम जाना- यानी उम्र में बड़े और खुद से अधिक योग्य चाहे वह उम्र और ओहदे में छोटा हो के सामने विनम्र व्यवहार करना।

क्यों अचानक बढऩे लगता है मोटापा?



मोटापे से कई बीमारियां जन्म लेती हैं जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर। स्त्री हो या पुरुष, उनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से होना चाहिए जैसे 5 फिट लंबाई हो तो वजन 60 किलोग्राम कुछ कम या ज्यादा हो तो एडजस्ट किया जा सकता है। मोटापे का मतलब है हमारी ऊंचाई के अनुपात में अत्यधिक वजन होना। मोटापे की समस्या होने पर व्यक्ति का पूरा शरीर थुलथुला हो जाता है और मांसपेशियां भी ढीली हो जाती है। कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट लटक जाता है, हाथ व जांघ थुलथुले हो जाते हैं। यह सभी मोटापे के ही लक्षण हैं। 

वजन बढऩे के पीछे कई कारण हैं जैसे:

- गलत रहन-सहन और बुरी आदतों की लत के चलते भी मोटापे की समस्या बढ़ जाती है। 

- लगभग प्रतिदिन मांस-मदिरा का सेवन करने वाले लोगों में तो मोटापे की समस्या रहती ही है। मांस से शरीर में चर्बी बढ़ती है।

- हमारे पास योगा और अन्य शारीरिक श्रम का समय नहीं होता, जिससे शरीर में वसा की अधिकता हो जाती है। 

- हमारे शरीर में ऊर्जा ज्यादा उत्पन्न होती है और उस ऊर्जा का पूर्ण उपयोग ना होने पर वह शरीर के उन्हीं भागों में चर्बी के रूप में जमा हो जाती है। इसके परिणाम स्वरूप वजन बढऩे लगता है। 

- खाना, सोना और आराम र्का नियमित समय नहीं होने पर । जिससे शरीर के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है।

- स्वास्थ्यवर्धक खाने की चीजों से हम दूर होते जा रहे हैं। सात्विक भोजन की जगह जंक फूड ने ली है। 

कैसे दूर करें मोटापा- मोटापे से कई बीमारियां जन्म लेती हैं जैसे हार्ट अटैक, हाई ब्लड प्रेशर, इसी तरह महिलाओं में मोटापे से चलना मुश्किल हो जाता है। स्त्री हो या पुरुष, उनका वजन उनकी लंबाई के हिसाब से होना चाहिए जैसे 5 फिट लंबाई हो तो वजन 60 किलोग्राम कुछ कम या ज्यादा हो तो एडजस्ट किया जा सकता है। 

- बदन हल्का छरहरा होना चाहिए। इतना वजन हो कि इंसान खुद से अपना भार उठा सके, जिंदगी का सुख ले सके, मोटापा से छुटकारा पाएं, दीर्घजीवी हों। 

- मोटापा शरीर में चर्बी बढऩे से होता है, इसलिए चर्बीयुक्त तथा कार्बोहाइड्रेट युक्त पदार्थ का सेवन ना करें। - हम अपने खाने-पीने का ध्यान ठीक से नहीं रखते, इसलिए मोटापा बिना पूछे बढ़ता रहता है। जैसे मांस, घी, चावल, तली चीजें, खाना खाने के बाद मीठा खाना, अधिक केले खाना, चिकनाई वाले पदार्थ खाना, खाना खाने के बाद तुरंत सो जाना, जरूरत के अनुसार श्रम ना करना, हमेशा जरूरत से ज्यादा खाना खाना, मासिक धर्म ना होना या गड़बड़ी होने से भी मोटापा बढ़ता है।

- भूख से कम खाएं, फल ज्यादा खाएं, हरी सब्जियां खाएं, भोजन के एक घंटे बाद पानी पिएं।

- गाजर का जूस रोज पिएं।

- अंकुरित अनाज खाएं, लो कैलोरी वाला भोजन लें।

- चिकनाई युक्त पदार्थ कम से कम खाएं।

- हरी सब्जियां अधिक खाएं, नमक कम खाएं, टमाटर खाएं।

- हफ्ते में एक बार उपवास करें।

पालक हाइब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए वरदान है क्योंकि...



पालक को आमतौर गुणकारी सब्जी तो माना जाता है। लेकिन केवल हिमोग्लोबिन बढ़ाने की दृष्टि से। बहुत कम लोग जानते हैं कि पालक में इसके अलावा और कई गुण भी है जिनसे सामान्य लोग अनजान है तो आइए आज हम आपको पालक के कुछ ऐसे अद्भूत गुणों से अवगत करवाते हैं। 100 ग्राम पालक में 26 किलो कैलोरी उर्जा ,प्रोटीन 2 .0 % ,कार्बोहाइड्रेट 2 .9 % ,नमी 92 %वसा 0 .7 %, रेशा 0 .6 % ,खनिज लवन 0 .7 %और रेशा 0 .6 %होता हैं .पालक में खनिज लवन जैसे कैल्सियम ,लौह, तथा विटामिन ए ,बी ,सी आदि प्रचुर मात्रा में पाया जाता हैं. इसी गुण के कारण इसे लाइफ प्रोटेक्टिव फ़ूड कहा जाता हैं

पालक में विटामिन ए,बी,सी,लोहा और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाया जाता है। कच्चा पालक गुणकारी होता है। पूरे पाचन-तंत्र  की  प्रणाली  को ठीक करता है। खांसी या फेफड़ों में सूजन हो तो पालक के रस के कुल्ले करने से लाभ होता  है। पालक  का रस पीने  से आंखों की रोशनी बढ़ती है। ताजे पालक का रस रोज पीने से आपकी मैमोरी बढ़ सकती है। इसमें आयोडीन होने की वजह से यह दिमागी थकान से भी छुटकारा दिलाता है।

हरी पत्तेदार सब्जियों से हमें आयरन तब तक नहीं मिलता, जब तक कि हम इन्हें विटामिन सी के साथ नहीं लेते, मसलन टमाटर, नींबू आदि के साथ। इसलिए पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियों को आप टमाटर के साथ खाएं।लेकिन पालक को पनीर जैसे मिल्क प्रोडक्ट के साथ नहीं बनाना चाहिए। पालक आंतों को क्रियाशील बनाता है, यही वजह है कि लीवर से संबंधित रोगों में भी यह फायदेमंद है।

अगर आप अपनी रूखी त्वचा से परेशान हैं तो पालक खाएं क्योंकि इसमें पानी की मात्रा ज्यादा होती है, जो आपकी त्वचा को नर्म और मुलायम बनाने में मदद करता है।पालक हमारे शरीर में उन जरूरी तत्वों को संचित करता है। इसके माध्यम से न सिर्फ शरीर का विकास होता है बल्कि यह रक्त नलिकाओं को खोलता है। यही कारण है कि हाइब्लडप्रेशर के मरीजों के लिए वरदान है।

दालचीनी की इतनी खूबियां जानकर आप हैरत में पड़ जाएंगे!



दालचीनी एक उपयोगी सुगंधित औषधि है। यह गरम मसाला तो है ही यह पाचन, वातहर, स्तंभण, गर्भाशय उत्तेजक, गर्भाशय संकोचक एवं शरीर उत्तेजक है। दालचीनी का तेल उत्तेजक है। दालचीनी सुगंधित, पाचक, उत्तेजक, और बैक्टीरियारोधी है। यह पेट रोग, इंफ्यूएंजा, टाइफाइड, टीबी और कैंसर जैसे रोगों में उपयोगी पाई गई हैं। इस तरह कहा जा सकता है कि दालचीनी सिर्फ  गरम मसाला ही नहीं, बल्कि एक औषधि भी है। दालचीनी मसालों के रूप में काम मे ली जाती है। दालचीनी का तेल बनता है। दालचीनी, साबुन, दांतों के मंजन, पेस्ट, चाकलेट, सुगंध व उत्तेजक के रूप में काम में आती है। चाय, काफी में दालचीनी डालकर पीने से स्वादिष्ट हो जाती है तथा जुकाम भी ठीक हो जाता है।

- दालचीनी का तेल दर्द, घावों और सूजन को नष्ट करता है।

- दालचीनी को तिल के तेल, पानी, शहद में मिलाकर उपयोग करना चाहिए। दर्द वाले स्थान पर मालिश करने के बाद इसे रातभर रहने देते है। मालिश अगरदिन में करें तो 2-3 घंटे के बाद धोएं।

- दालचीनी त्वचा को निखारती है तथा खुजली के रोग को दूर करती है

- दालचीनी सेहत के लिए लाभकारी है। यह पाचक रसों के स्त्राव को भी उत्तेजित करती है। दांतों की समस्याओं को दूर करने में भी यह उपयोगी है।

- रात को सोते समय नियमित रूप से एक चुटकी दालचीनी पाउडर शहद के साथ मिलाकर लेने से मानसिक तनाव में राहत मिलती है और स्मरण शक्ति बढ़ती है।

- दालचीनी का नियमित प्रयोग मौसमी बीमारियों को दूर रखता है।

- ठंडी हवा से होने वाले सिरदर्द से राहत पाने के लिए दालचीनी के पाउडर को पानी में मिलाकर पेस्ट बनाकर माथे पर लगाएं।

- दालचीनी पाउडर में नीबू का रस मिलाकर लगाने से मुंहासे व ब्लैकहैड्स दूर होते हैं।

- दालचीनी, डायरिया व जी मिचलाने में भी औषधी के रूप में काम में लाई जाती है।

- मुंह से बदबू आने पर दालचीनी का छोटा टुकड़ा चूसें। यह एक अच्छी माउथ फ्रेशनर भी है।

- दालचीनी में एंटीएजिंग तत्त्व उपस्थित होते हैं। एक नीबू के रस में दो बड़े चम्मच जैतून का तेल, एक कप चीनी, आधा कप दूध, दो चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर पांच मिनट के लिए शरीर पर लगाएं। इसके बाद नहा लें, त्वचा खिल उठेगी।

- दालचीनी पाउडर की तीन ग्राम मात्रा सुबह-शाम पानी के साथ लेने पर दस्त बंद हो जाते हैं

- आर्थराइटिस का दर्द दूर भगाने में शहद और दालचीनी का मिश्रण बड़ा कारगर है। 

-गंजेपन या बालों के गिरने की समस्या बेहद आम है। इससे छुटकारा पाने के लिए गरम जैतून के तेल में एक चम्मच शहद और एक चम्मच दालचीनी पाउडर का पेस्ट बनाएं।

- एक चम्मच दालचीनी पाउडर और पांच चम्मच शहद मिलाकर बनाए गए पेस्ट को दांत के दर्द वाली जगह पर लगाने से फौरन राहत मिलती है।

- सर्दी जुकाम हो तो एक चम्मच शहद में एक चौथाई चम्मच दालचीनी पाउडर मिलाकर दिन में तीन बार खाएं। पुराने कफ और सर्दी में भी राहत मिलेगी।

- पेट का दर्द-शहद के साथ दालचीनी पाउडर लेने पर पेट के दर्द से राहत मिलती है। 

- खाली पेट रोजाना सुबह एक कप गरम पानी में शहद और दालचीनी पाउडर मिलाकर पीने से फैट कम होता है। इससे मोटे से मोटा व्यक्ति भी दुबला हो जाता है।