Friday 11 November 2011

किस्मत में जो लिखा है, उसे पाना हमारे हाथ में है





उज्जैन. किस्मत एक ऐसी चीज है जिस पर कुछ लोग बहुत ज्यादा भरोसा करते हैं और कुछ बिल्कुल भी नहीं। कई लोग हर चीज को किस्मत के भरोसे ही छोड़ देते हैं। किस्मत को मानना अलग विषय है और उसी पर टिक जाना एकदम अलग बात। 

जो लोग सिर्फ किस्मत को ही सबकुछ मानकर बैठ जाते हैं वे अक्सर असफल हो जाते हैं। तकदीर में जो लिखा है वो तो होना ही है लेकिन जो होगा, वो हमें किस हद तक प्रभावित करेगा यह बात हमारे कर्म तय करते हैं। 

एक राजा के दो बेटे थे। दोनों ही होनहार थे, राजा को दोनों ही बेटे समान लगते थे। उसके आगे समस्या यह थी कि वो अपना उत्तराधिकारी किसे घोषित करे, क्योंकि दोनों में ही उसे कोई कमी नजर नहीं आती थी। राजा परेशान रहने लगा। एक मंत्री ने राजा की मनोदशा का ताड़ लिया। उसने जोर देकर पूछा तो राजा ने अपनी चिंता का कारण बता दिया। मंत्री ने राजा को एक युक्ति सुझाई। 

उसने राजा से कहा कि दोनों राजकुमारों को राजज्योतिषी के पास भेजना चाहिए, वे ही इस बात का निर्णय कर देंगे कि कौन सा राजकुमार भविष्य में राजा बनने के लायक है। राजा ने ऐसा ही किया। दोनों राजकुमारों को ज्योतिषी के पास भेजा। ज्योतिषी ने दोनों की कुंडली देखी, हाथ की रेखाएं देखीं और घोषणा की कि दोनों ही राजा बनने योग्य हैं। दोनों की कुंडली में राजसी सुख लिखा है। दोनों की रेखाएं भी राजसी जीवन की ओर संकेत कर रही हैं।

दोनों ही खुश हो गए लेकिन राजा की दुविधा जस की तस थी। दोनों की कुंडली में अगर राजयोग है, तो फिर राजा किसे बनाया जाए। ज्योतिषी ने जवाब दिया, आप थोड़े दिन, इंतजार करें, राज पद का दावेदार राजकुमार आप खुद ही चुन लेंगे। राज योग की बात सुन दोनों राजकुमारों पर अलग-अलग असर हुआ। 

बड़े राजकुमार ने सोचा कि राजा बनना ही है तो राजसी जीवन की आदत डाल ली जाए, क्योंकि जीवनभर फिर राजा बनकर रहना है। वो पूरी तरह विलासिता में डूब गया। वहीं छोटे ने सोचा कि जब राज योग लिखा ही है तो क्यों ना राजा के कर्तव्य देख लिए जाएं। उसने प्रजा के बीच जाकर रहना शुरू कर दिया, उनकी समस्याओं का निपटारा किया, उनकी रक्षा की व्यवस्था की। 

राजकीय काम देखने लगा। राजा तक यह सूचना पहुंची कि जनता छोटे राजकुमार को राजा के रूप में देखना चाहती है। राजा ने उसे अपना युवराज घोषित कर दिया। इस बात से तिलमिलाया बड़ा राजकुमार राज ज्योतिषी के पास पहुंचकर शिकायत करने लगा। ज्योतिषी ने उसे समझाया कि राज सुख तुम दोनों की कुंडली में है लेकिन तुमने ये जानकर भी अपने कर्तव्य और कर्म का मार्ग नहीं पकड़ा। 

तुमने यह मान लिया कि तुम ही राजा बनोगे और विलासिता में डूब गए। जबकि छोटे राजकुमार ने भविष्य की संभावनाओं को देखते हुए उसके अनुसार कर्म किया तो वो राजा चुन लिया गया। तुम भी राज सुख भोग रहे हो, जीवन भर भोगोगे भी लेकिन राजा बनने की तैयारी तुमने नहीं की, वो तैयारी तुम्हारे छोटे भाई ने की इसलिए राजा ने उसे युवराज बनाया।

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