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सफलता का एक सिद्धांत यह है कि या तो आप हालात को अपने अनुकूल बना लें या परिस्थितियों के अनुकूल बन जाएं। दोनों ही स्थितियों में संघर्ष भले ही हो, लेकिन सफलता सरलता से मिल जाती है। श्रीहनुमानचालीसा की बत्तीसवीं चौपाई है -
राम रसायन तुम्हरे पासा। सदा रहो रघुपति के दासा।।
इसकी दूसरी पंक्ति में एक शब्द आया है- सदा। आइए इन शब्दों को जीवन से जोड़कर देखें। हनुमानचालीसा में जिस रसायन की चर्चा हुई है और जो हनुमानजी के पास है, इसका अर्थ है सभी परिस्थितियों के अनुकूल रहना।
इस रसायन का आध्यात्मिक संदेश यह है कि हमारा रहना इस प्रकार हो कि हम संसार में रहें, संसार हममें न रहे। सदा रहो रघुपति के दासा इसमें सदा शब्द महत्वपूर्ण है। श्रीराम ने हनुमानजी को उनकी उपयोगिता, उनके समर्पण और भक्ति के कारण सदा अपने पास रहने का गौरव दिया है।
श्रीराम का मानना है कि जाने कब, कौन-सी समस्या आ जाए। इसलिए समाधान हेतु श्री आंजनेय का साथ रहना ठीक है। प्रबंधन का सूत्र है कि यदि आप समाधान का हिस्सा नहीं हैं तो फिर आप स्वयं एक समस्या हैं।
हनुमानजी का यह समाधानकारी चरित्र हमें जीवन तत्वों का सही उपयोग करते हुए व्यक्तित्व विकास की प्रेरणा देता है। परमात्मा की निकटता बड़ी उपलब्धि है। यह सदा रहनी चाहिए। ऐसा न हो कि आज सफल हुए, लापरवाही के कारण कल वह सफलता जीवन से फिसल जाए।
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