अनुशासन के बिना जीवन सफल नहीं हो सकता। हर व्यक्ति अपने विवेक से अनुशासित रहता है। जब तक विवेक प्रबुद्ध और जागरूक नहीं हो जाता है। ऐसे में सफल होने के लिए विवेक का जागृत होना जरूरी है। इसके लिए नीचे लिखी योगमुद्रा सबसे अच्छा उपाय है।
विधि- अनुशासन मुद्रा के लिए तर्जनी यानी इंडैक्स फिंगर अंगुली को सीधा रखें। शेष तीन अंगुलियों-कनिष्ठा छोटी अंगुली अनामिका (रिंग फिंगर) और मध्यमा (मिडिल फिंगर) को अंगुठे के साथ मिलाएं। इस तरह बनने वाली मुद्रा को अनुशासन मुद्रा कहा गया है।
आसन- पद्मासन व सुखासन में इस मुद्रा का प्रयोग किया जा सकता है।
समय- रोज आठ मिनट से प्रारंभ करें। एक महिने तक रोज एक-एक मिनट बढ़ाएं।
लाभ- इस मुद्रा को करने से व्यक्ति अनुशासित होने लगता है। नेतृत्व क्षमताऔर कार्य क्षमता बढ़ती है। अपने आप में पौरुष का अनुभव होता है।
सावधानी- एक साथ लंबे समय तक न करें।
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